उस वक़्त क्रन्तिकारी खुद को छुपा कर रखते थे अर्थात पता नहीं लगने देते थे कि वे आज़ादी की लड़ाई के सिपाही है लेकिन बिच्छू एक ऐसा किरदार था जिसे एक-एक के बारे में सब कुछ मालूम था । था ?
नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस द्वारा दिए गए इस नारे ने उस समय के नोजवानो में ऐसा जोश भर दिया था की वे सचमुच आज़ादी की लिए खून देने लगे । आज हमें उन नोजवानो के बारे में जरूर पड़ना चाहिए ।
यह उपन्यास उन क्रांतिकारियों को वेदप्रकाश शर्मा की श्रद्धांजलि है, जो हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लोहा-लोहा लेते शहीद हो गए लेकिन हम आज उनकी वजह से आज़ादी की हवा में सांस ले रहे है ।