यह उपन्यास साबित कर देगा की थ्रिल, सस्पेंस सेंटीमेंट और
इन्वेस्टीगेशन की दुनिया में नक्काल भले ही चाहे कितने घुस आये लेकिन
जो जादूगर है वह जादूगर ही रहेगा और जादूगर वह होता है जिसकी कलम
आपको खाना खाने तक की फुरसत न दे |
Category: विजय विकास सीरीज
विश्व युद्ध की आग
इस उपन्यास में आगामी विश्वयुद्ध की कल्पना की गए है और जिन लोगों ने इस उपन्यास को पड़ा है , उनकी राय के मुताबिक वेद प्रकाश शर्मा ने बहुत ही सटीक कल्पना की है ।
धरती बानी दुल्हन
धरती जब दुल्हन बनती है तो उसका श्रृंगार आम दुल्हन की तरह नहीं होता बल्कि उसके मस्तक पर किसी माँ के लाडले का खून बिंदिया बनकर चमकता है । किसी दुल्हन के सुहाग का लहू इस दुल्हन के होठों की लाली बनती है किसी बहन की राखी इस दुल्हन के माथे का टिका बनकर चमकती है ।