यह कथानक लिखते वक़्त विकास का रौद्र रूप, अल्फाँसे के पैंतरे , सिंगही का सिंहनाद
और नुसरत-तुगलक के लटके-झटके वेद प्रकाश शर्मा के दिमाग से कूदकर कागज पर नाच उठे ।
Author: Ved Prakash Sharma
दूध ना बख्शूंगी
रैना ने कहा था यह । वो भी विकास से । ऐसे क्या हालत बने रैना को अपने बेटे से यह कहना पड़ा । विकास से क्या करना चाहती थी वह और क्या विकास ने वह किया ? या अपनी ही माँ के खिलाफ खड़ा हो गया ये लड़का ।