यह उपन्यास उन क्रांतिकारियों को वेदप्रकाश शर्मा की श्रद्धांजलि है, जो हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लोहा-लोहा लेते शहीद हो गए लेकिन हम आज उनकी वजह से आज़ादी की हवा में सांस ले रहे है ।
Author: Ved Prakash Sharma
अर्थी मेरे प्यार की
लोगों के लिए वह एक दुल्हन की डोली थी लेकिन एक बदनसीब लड़के के लिए उसके प्यार की ऐसे अर्थी जिसे उसे खुद ही कन्धा देना पड़ा ।
सुमन
वह बचपन से ही सुमन से प्यार करता था । दोनों की शादी होने लगी । फेरों के वक़्त पता लगा सुमन बच्चे की माँ बनने वाली है । लड़का चकराया । वह तोह सुमन के कभी इतना नज़दीक नहीं आया, फिर वह किसके बच्चे की माँ बनने वाली है ? जब इस सवाल का जवाब मिला तो पता लगा की सुमन इस संसार की सबसे महान और पवित्र लड़की है ।
पैंतरा
पंकज एक राइटर था । उसका सपना था उसकी स्टोरी पर फ़िल्म बन जाये ।
इस धुनक मैं वह एक बड़े पेंतरेबाज से जा टकराया । जुल्म की दल दल में धस्ता चला गया
वह और फिर उस दल दल से निकलने क लिए उसने भी चला एक पैंतरा ।
परन्तु क्या उसका पैंतरा कामयाब हुआ? कंही ऐसा तो नहीं हो गया कि जिसे
वह अपना पैंतरा समझ रहा था वह भी उसी का पैंतरा निकला, जिसने उसे जुर्म की दल दल मैं फंसाया था ।
सुपरस्टार
किसी ज़माने में राजेश कुमार की हर पिक्चर सिल्वर जुबली करती थी,
इसलिए लोग उसे जुबली कुमार भी कहने लगे थे magar अब वो पचास साल का हो चूका था ।
बेरहम इंडस्ट्री उसे भूल चुकी थी लेकिन उसका दवा था की सुपरस्टार सिर्फ वह था,
वह है और वाही रहेगा । इसी धुनक में उसने एक फ़िल्म बनाने की ठानी और वह फ़्रस्ट्रेशन
उसे कहाँ ले गया ! जानने के लिए पड़े – सुपरस्टार