वेद प्रकाश शर्मा का दावा है की कोई भी पाठक इस पुस्तक
का अंतिम पृष्ठ पड़ने से पहले इस पहेली को नहीं सुलझा सकेगा
की इस कथानक का नाम मांग में अंगारे क्यों रखा गया है !
Category: थ्रिलर सीरीज
नसीब मेरा दुशमन
जुड़वा बच्चे पैदा हुए । एक अरबपति सेठ क यंहा बड़ा हुआ । दूसरा झोपडी पट्टी में । जो झोपडी पट्टी में पला उसे लगता था नसीब मेरा दुश्मन है क्यूंकि सेठ उसे गोद लेता तो आज वो वंहा होता जन्हा उसका जुड़वाँ भाई है । क्या वह दुरुस्त सोचता था कंही ऐसा तोह नहीं था कि नसीब उसके जुड़वाँ भाई का दुश्मन था ! अंततः क्या साबित हुआ ?
आ बैल मुझे मार
क्या आपने ऐसे लोग देखे है जो इस कहावत को आक्षरषः चरितार्थ करते है । ऐसे ही किरदार की कहानी है ये जो जानबूझकर मुसीबतो को अपने गले में डालता था ।