गूंगा

goonga finalजो हर काम अपने  वक़्त पर करता है मगर बोलता नहीं मुस्कुराता
नहीं । हँसता नहीं-रोता भी नहीं । जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आता ।
एक ही रात में बल्कि एक ही पल में इंसान इतना कैसे बदल सकता है

कुबड़ा

kubraकुबड़ा केवल एक किरदार ही नहीं, बल्कि एक पहेली है । ऐसे पहेली, जिसमें आप भी ठीक
उसी तरह उलझ कर रह जाओगे, जैसे इस उपन्यास के अन्य पांच प्रमुख पात्र उलझ कर रहे गए थे ।

शाकाहारी खंजर

Shaka Hari khanjarकैसे थी वो ‘आत्महत्या’, जिसे ‘हत्या’ सिद्ध कर के ही, पांच करोड़ की रकम पर
दावेदारी सिद्ध की जा सकती थी ? थ्रिल और सेंटीमेंट से भरपूर एक बेहद पेंचदार कथानक |