ऐसा रिवाल्वर जो एक परिवार को उसके यंहा आये दहेज़ के
सामान के बीच रखा मिला था । यह पता लगाने के लिए उन्होंने एड़ी से छोटी
तक का जोर लगा दिया की रिवाल्वर सामान क बीच आखिर रखा किसने
था मगर कुछ पता नहीं लगा । वे रिवाल्वर को छुपा देते थे लेकिन वह
बार-बार सामने आकर किसी न किसी की हत्या कर देता था ।
‘चक्रव्यूह’ उपन्यास नहीं बल्कि आपके लिए सचमुच का ‘चक्रव्यूह’ है ।
आप इस ‘चक्रव्यूह’ को तोड़ नहीं पाएंगे आर्तार्थ रहस्य खुलने से पहले
मुजरिम का नाम नहीं जान पाएंगे । कृपया इस उपन्यास के ‘अंत’ के बारे में किसी को कुछ न बताये ।
हमारे ख्याल से हिंदुस्तानी औरत क लिए उसके सुहाग से बड़ा कोई नहीं हो सकता लेकिन वो था ।
कौन था वो ? और एक हिंदुस्तानी औरत उसे क्यों अपने सुहाग से भी बड़ा मानती थी ?
जानने के लिए पढ़ें – सुहाग से बड़ा !
ईश्वर क बाद कुछ लोग मुल्क को भगवन नंबर दो मानते है तोह कुछ लोग दौलत को ।
भगवन की पदवी पा चुके पैसे क पीछे भाग रहे लोगों को , वेद प्रकाश शर्मा ने
इस उपन्यास में उनका अंजाम ऐसे अंदाज़ मैं बताने की कोशिश की है कि हर
हर पृष्ठ पर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे |